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छन्द ये मेरे
सन् 1994 में प्रकाशित 'छन्द ये मेरे' में कवित्त-घनाक्षरी और सवैये को डॉ• अनन्त ने चरमोत्कर्ष प्रदान किया। चार सौ सोलह सवैयों तथा पचीस कवित्तों में आबद्ध यह काव्यग्रन्थ कुल अड़तालिस शीर्षकों में विभक्त है। शिल्प और संवेदना दोनों ही दृष्टियों से यह काव्य-ग्रन्थ उच्चकोटि का तो है ही, वर्ण्यविषयों की दृष्टि से भी सन्दर्भ बहुल्य एवं उत्कृष्ट है।
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